Friday 14 September 2007

ग़ज़ल


मेरी खामोशी ही मेरी ज़ुबाँ होगी !
मुझसे दूर चाहे तू जहाँ होगी !!



कैसे कह दूँ कि हर धड़कन पे था नाम तेरा
ये बात तेरी नज़रों से ख़ुद बयाँ होगी !



आईने में देखकर ख़ुद को न मुसकराया करना
तबस्सुम से दिल पे चोट यहाँ होगी !




प्यार करने से पहले ना सोचा कभी
जफ़ाओं के जहाँ में वफ़ा कहाँ होगी !





- "प्रसून"

3 comments:

शैलेश भारतवासी said...

आप तो मशहूर गीतकार प्रसून जोशी जैसा लिखने लगे हैं। बधाइयाँ।

रंजू भाटिया said...

कैसे कह दूँ कि हर धड़कन पे था नाम तेरा
ये बात तेरी नज़रों से ख़ुद बयाँ होगी !

वाह !! बहुत बहुत अच्छा लिखते हैं आप तो अमिय ...कई शेर तो सीधे दिल को छू जाते हैं
बहुत बहुत बधाई आपको

ritusaroha said...

yeh to bas kya kahu....shabd nahi mil rahe hai.....parsoon ji...sach much bahut acchi likhi hai yeh to apne.....