Sunday 26 August 2007

ग़ज़ल


खामोशी ने नयी ज़िन्दगी की शुरुआत की है !
आज दिल ने उनसे आख़िरी मुलाक़ात की है !!



जीना हो गया है दुश्वार किसी से जुदा होकर

किसी ने दिल तोड़ने वाली ऐसी बात की है !



इन आँखों में जो देखी नाराज़गी दिल की

मेरे बेचैन अश्कों ने उस पर बरसात की है !



जिगर ने मेरे जो महसूस किया हर पल

ख़ुशी वो चार पल की तेरे साथ की है !



जब पूछे तुमने हालात मेरे दिल के

ये बात क़यामत की रात की है !





- "प्रसून"

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