तेरी यादों में जीना,तेरी यादों में मरना,अब ऐसा कोई गुनाह ना हो !
सोचता हूँ, ज़र्ज़र जिन्दगी में इश्क की कोई राह ना हो !!
मेरा मर-मरकर तेरे गेशुओं के घने साए में जीना
बीमार मेरे दिल को अब ऐसी कोई चाह ना हो !
फिराक को ही देखा है हमने तेरी मुहब्बत में रहके
अब इन कातिल बाजुओं की कोई पनाह ना दो !
मिन्नतें करो "प्रसून" मुहब्बत में सबको वफ़ा मिले
राह-ए-इश्क में दीगर हम- सा कोई गुमराह ना हो !
सोचता हूँ, ज़र्ज़र जिन्दगी में इश्क की कोई राह ना हो !!
मेरा मर-मरकर तेरे गेशुओं के घने साए में जीना
बीमार मेरे दिल को अब ऐसी कोई चाह ना हो !
फिराक को ही देखा है हमने तेरी मुहब्बत में रहके
अब इन कातिल बाजुओं की कोई पनाह ना दो !
मिन्नतें करो "प्रसून" मुहब्बत में सबको वफ़ा मिले
राह-ए-इश्क में दीगर हम- सा कोई गुमराह ना हो !
- "प्रसून"
1 comment:
this one is too gud
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