Wednesday 1 August 2007

ग़ज़ल

हर क़दम पे आपका साथ चाहता हूँ !
अपने हाथों में आपका हाथ चाहता हूँ !!

जिन लफ़्ज़ों से मुस्कराये सारा जहाँ
अपके होंठों से ऐसी बात चाहता हूँ !

जहाँ लगे हर ओर जुगनुओं कि बरात
अपके साथ ऐसी ही इक रात चाहता हूँ !

जिन बूंदों से ज़ेहन कि तपिश मिट जाये
अपके साथ इअसी ही इक रात चाहता हूँ !

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