स्तन से चिपटे बच्चे को
जब देखा था
निश्चिन्तता से वो
पी रह था दूध,
और ऊंघ रही थी
उसकी भिखारिन माँ
उसकी भिखारिन माँ
फटी- फटी- सी उसकी ब्लाउज़
और झांकती- मटमैली पेटीकोट
और झांकती- मटमैली पेटीकोट
बयाँ कर रही थीं
कि कितनी हो चुकी हैं सस्ती
दो जून की रोटियाँ !
- "प्रसून"
1 comment:
VERY TOUCHING ..दिल को छू लेने वाली पंक्तियां हैं यह ..शुक्रिया
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